फिल्मों से पहले ये काम करते थे सुनील दत्त, जानें उनसे जुड़ी खास बातें
सुनील दत्त शुरू से ही प्रतिभा के धनी थे, वो भारतीय फिल्मों के विख्यात अभिनेता, निर्माता व निर्देशक के रूप में जाने-जाते थे। उन्होंने अपने छह दशकों के करियर में 50 से ज्यादा फिल्मों में काम किया हैं।
Sunil Dutt का परिचय:
जन्म: 6 June 1929
जन्म स्थान: झेलम पंजाब, ब्रिटिश भारत
निधन: 25 May 2005
पिता का नाम: दीवान रघुनाथ दत्त
माता का नाम: कुलवंती देवी दत्त
व्यवसाय: एक्टर, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, पोलिटिशियन
लाइफ पार्टनर: नरगिस दत्त
बच्चे: 3
जन्म और शिक्षा:
सुनील दत्त का जन्म 6 जून 1929 को झेलम पंजाब, में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उन्होंने अपनी पढ़ाई जय हिंद कॉलेज, मुंबई से पूरी की। उनके पिता का नाम दीवान रघुनाथ दत्त था और उनकी माता का नाम कुलवंती देवी दत्त था। उन्होंने अपना नाम बलराज दत्त से बदल कर सुनील दत्त रख लिया था। उनका बचपन यमुना नदी के किनारे मदाली गाँव में बीता जो हरियाणा में है।
रेडियो जॉकी के रूप में किया काम:
सुनील दत्त ने अपना करियर एक रेडियो जॉकी के रूप में शुरु किया था। रेडियो सीलोन, जो कि दक्षिणी एशिया का सबसे पुराना रेडियो स्टेशन था। वहां सुनील एक उद्घोषक के रूप में काम करते थे। यहां वह काफी मशहूर भी हुए। उनकी आवाज के लोग दीवाने थे। एक सफल उद्घोषक के रूप में अपनी पहचान बनाने के बाद सुनील कुछ नया करना चाहते थे। बस फिर क्या था रेडियो की नौकरी छोड़, वह एक्टयर बनने के लिए मुंबई चले आए। 1955 में बनी ‘रेलवे स्टेशन’ उनकी पहली फिल्म थी।
फिल्मी करियर की शुरुआत:
सुनील दत्त ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1955 में रिलीज हुई फिल्म ‘रेलवे स्टेशन’ से की। इस फिल्म में वे मुख्य भूमिका में नजर आये थे। इसके बाद उन्होंने ‘कुंदन’, ‘राजधानी’, ‘किस्मत का खेल’ और ‘पायल’ जैसी कई छोटी फिल्मों में अभिनय किया, लेकिन इनमें से उनकी एक भी फिल्म सफल नहीं हुई।
‘मदर इंडिया’ से मिली पहचान:
सुनील दत्त साल 1957 में आई फिल्म ‘मदर इंडिया’ से अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हुए। उन्होंने इस फिल्म में एक ऐसे व्यक्ति ‘बिरजू’ की भूमिका निभाई, जो गाँव में सामाजिक व्यवस्था से बहुत नाराज़ है और इसी की वजह से विद्रोह कर वह डाकू बन जाता है। उन्होंने इस फिल्म में नेगेटिव किरदार निभा कर दर्शकों के दिलों में जगह बनाई।
सुपरहिट फिल्में :
वर्ष 1965 में रिलीज हुई सुनील दत्त की फिल्म ‘वक्त’ सुपरहिट फिल्मों में से एक है। इस फिल्म में उनके साथ बलराज साहनी, शशी कपूर, राज कुमार, अभिनेत्री साधना नजर आई थीं। उनके करियर का महत्वपूर्ण वर्ष 1967 साबित हुआ, क्योंकि उसी साल उनकी ‘मिलन’, ‘मेहरबान’ और ‘हमराज’ जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुई। इसके अलावा उनकी सुपरहिट फिल्मों में ‘साधना’ (1958), ‘सुजाता’ (1959), ‘मुझे जीने दो’ (1963), ‘ख़ानदान’ (1965), ‘पड़ोसन’ (1967) शामिल है।
बतौर निर्देशक के रूप में:
सुनील दत्त ने 1991 में आई फिल्म ‘यह आग कब बुझेगी’ में बतौर निर्देशक के रूप में काम किया। इस फिल्म में उनके साथ अभिनेत्री रेखा, शक्ति कपूर और बिंदु ने काम किया है। इसके बाद उन्होंने 1982 में रिलीज हुई फिल्म ‘दर्द का रिश्ता’ में काम किया।
पांच बार सांसद रह चुके हैं सुनील दत्त :
एक सफल अभिनेता और निर्देशक की भूमिका निभाने के बाद सुनील ने 1984 में राजनीति ज्वॉइन कर ली। वह कांग्रेस पार्टी के टिकट पर मुंबई उत्तफर पश्चिम लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने। वे वहाँ से लगातार पाँच बार चुने जाते रहे। उनकी मृत्यु के बाद उनकी बेटी प्रिया दत्त ने अपने पिता से विरासत में मिली वह सीट जीत ली। भारत सरकार ने 1968 में उन्हें ‘पद्म श्री’ सम्मान प्रदान किया। इसके अतिरिक्त वे बम्बई के शेरिफ़ भी चुने गये थे।
पर्सनल लाइफ:
नरगिस और सुनील दत्त की लव स्टोरी किसी बॉलीवुड स्टोरी से कम नहीं है। फिल्म ‘मदर इंडिया’ की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग जाने के बाद सुनील दत्त ने नरगिस की जान बचायी और उसी वक्त दोनों एक दूसरे को अपना दिल दे बैठे। नरगिस और सुनील दत्त के तीन बच्चे हुए एक पुत्र संजय दत्त, जो बॉलीवुड के सुपरस्टार अभिनेता हैं, दो लड़कियाँ पहली प्रिया दत्त जिन्होंने पापा की सीट से चुनाव लड़ा और सांसद बनीं, दूसरी लड़की नम्रता दत्त जोकि फैशन डिजाइनर हैं और राजेन्द्र कुमार के बेटे कुमार गौरव की पत्नी हैं।
आखिरी फिल्म:
वर्ष 2003 में रिलीज हुई फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ सुनील दत्त के करियर की आखिरी फिल्म है। इस फिल्म में उन्होंने अपने बेटे संजय दत्त के पिता का किरदार निभाया था। ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई।
निधन:
सुनील दत्त का 25 मई 2005 को हार्ट अटैक के कारण बांद्रा स्थित उनके निवास स्थान पर देहांत हो गया और हमारे बीच अपनी अनमोल यादों को छोड़ गये जो हमें आज भी बहुत प्यार और मोहब्बत का एहसास कराती हैं।
सुनील दत्त को मिले पुरस्कार:
- 1964 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार- (फिल्म- मुझे जीने दो)।
- 1967 – बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट ऐसोसिएशन का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – (फिल्म- मिलन)।
- 1968 – पद्म श्री।
- 1995 – फिल्म फेयर का लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड।
- 2005 – दादा साहब फाल्के अकादमी का फाल्के अवार्ड।
- 2005 – आईआईएफएस लन्दन का भारत गौरव सम्मान।
- 1964 – नेशनल फिल्म अवार्ड फॉर बेस्ट फीचर फिल्म इन हिंदी फॉर (फिल्म-यादें)।